नाम पूछ कर गोली मारी, वाला चूरन बेचना बंद करो,
असली मुद्दे पर आओ, कि हमला हुआ कैसे..? जिम्मेदारी किसकी थी..?”
यह सिर्फ एक पंक्ति नहीं है, ये आज के भारत की हकीकत का आईना है। और इस पंक्ति का मर्म, हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के संदर्भ में और भी गहराता है।
🧨 पहलगाम हमला: एक और खौफनाक हकीकत
22 अप्रैल 2025 को अनंतनाग जिले के बाईसरन, पहलगाम में, अचानक गोलियों की बौछार से घाटी दहल गई। पर्यटक, स्थानीय लोग और घोड़े वाले उस खूबसूरत दोपहर में अचानक लहूलुहान हो गए।
28 लोगों की मौत और 20 से अधिक घायल — ये आंकड़े सिर्फ संख्या नहीं, परिवारों की बर्बादी हैं।
हमले का तरीका? पहचान पूछना, फिर गोली मारना।
लोगों के धर्म के आधार पर उनका जीवन छीन लेना — यही आतंक का नया चेहरा है।
❓ लेकिन असली सवाल ये है…
- इतना बड़ा हमला सुरक्षा व्यवस्था के बीच कैसे हुआ?
- जवाबदेही किसकी है?
- क्यों हमलावरों को समय पर रोका नहीं गया?
इस देश में, हर बार जब ऐसी घटना होती है — पहले इमोशनल बयान आते हैं, फिर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप, और अंत में… भूल जाना!
📣 “वो चूरन बेचना बंद करो” का मतलब क्या है?
ये लाइन उन झूठी कहानियों की ओर इशारा करती है, जो मीडिया या नेता मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए चलाते हैं।
जब भी कोई आतंकी घटना होती है, असली मुद्दा पूछने की बजाय लोगों को भटकाया जाता है — धर्म, राजनीति या एजेंडा की तरफ।
🌍 अंतरराष्ट्रीय नज़रिया और मीडिया की भूमिका
- भारतीय प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने इस हमले की कड़ी निंदा की है।
- अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसे “Tourist Massacre” तक करार दिया है।
- लेकिन क्या सिर्फ बयान काफी हैं?
🤝 मानवता की मिसाल: स्थानीय लोगों का साहस
घटना के समय स्थानीय घोड़ेवाले, दुकानदार और बच्चों ने घायलों को उठाया, पीठ पर लादकर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया।
ये लोग, जिनके पास न तो हथियार थे और न ही सुरक्षा कवच, असली हीरो साबित हुए।
👉 जागरूक बनिए, सवाल पूछिए।
👉 चुप मत रहिए जब असली मुद्दों से ध्यान हटाया जाए।
👉 मीडिया से जवाब मांगिए।
👉 अपने वोट और आवाज़ का इस्तेमाल सही नेता और नीति के लिए कीजिए।
BuzzFlix पर हम नारे नहीं, सच बोलते हैं।
अगर आप भी चाहते हैं कि असली मुद्दे दबें नहीं, तो इस पोस्ट को शेयर करें, अपनी राय नीचे कमेंट करें, और ऐसे कंटेंट के लिए फॉलो करें।